राज्यसभा सांसद और शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी से पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “वे (कानून में बदलाव) पर्याप्त नहीं थे। हम महीने में एक बार महिलाओं के मुद्दों पर बात करते रहते हैं। महिलाओं के मुद्दों का राजनीतिकरण किया जाता है, लेकिन मुद्दों के बारे में कुछ भी नहीं किया जाता है।” क्या निर्भया कांड के मद्देनजर कानूनों में किए गए बदलाव पर्याप्त थे?