इस्लामाबाद15 मिनट पहले
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पाकिस्तान के दो कथित करीबी दोस्त मुश्किल वक्त में उससे दूर होते नजर आ रहे हैं। पाकिस्तान के पास इस वक्त सिर्फ 6.7 अरब डॉलर का फॉरेन रिजर्व है। इससे तीन हफ्ते के ही इम्पोर्ट्स किए जा सकते हैं। पुराने कर्ज की किश्तें भी नहीं भरी जा सकतीं। फाइनेंस मिनिस्टर इशहाक डार ने नवंबर में कहा था कि चीन और सऊदी अरब पाकिस्तान को बहुत जल्द 13 अरब डॉलर का नया कर्ज देंगे। यह अब तक नहीं मिला और दोनों देश चुप हैं।
दूसरी तरफ, इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF ने भी कर्ज की तीसरी किश्त रोक दी है। ऐसे में अब जनवरी से मार्च के पहले क्वॉर्टर में विदेशी कर्ज चुकाने और इम्पोर्ट के लिए फंड्स कहां से आएंगे, इस पर बहुत बड़ा सवालिया निशान लग गया है।

चीन तो एक कदम आगे निकल गया
पाकिस्तान के अखबार ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक- फाइनेंस मिनिस्टर भले ही सऊदी अरब और चीन से 13 अरब डॉलर के नए लोन मिलने का दावा कर रहे हों, लेकिन हकीकत कुछ और है। नवंबर की शुरुआत में दोनों देशों से बातचीत हुई थी और अब तक इनकी तरफ से कोई पैसा मिलना तो दूर, वादा भी नहीं किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन तो एक कदम आगे निकल गया है। उसने पाकिस्तान से 1.3 अरब डॉलर की किश्त मांग ली। पाकिस्तान सरकार ने चीन की इस हरकत पर अब तक कुछ नहीं कहा है। डार अब दावा कर रहे हैं कि सऊदी अरब से बातचीत जारी है और उम्मीद है कि जल्द ही वहां से 3 अरब डॉलर मिल जाएंगे। दूसरी तरफ, सऊदी अरब ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है।

इशहाक डार ने IMF पर सख्त बयान दिया था। इसके बाद पाकिस्तान को किश्त नहीं मिली।
दिक्कत कहां है
- पाकिस्तान के पास इस वक्त सिर्फ 6.7 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार या फॉरेक्स रिजर्व हैं। इसमें 2.5 अरब डॉलर सऊदी अरब, 1.5 अरब डॉलर UAE और 2 अरब डॉलर चीन के हैं। ये फंड्स सिक्योरिटी डिपॉजिट हैं यानी शाहबाज शरीफ सरकार इन्हें खर्च नहीं कर सकती। दूसरी बात, सऊदी और UAE 36 घंटे के नोटिस पर ये पैसा वापस ले सकती है। 2019 में भी पाकिस्तान का फॉरेन रिजर्व इतना ही था।
- IMF ने 1.7 अरब डॉलर के कर्ज की तीसरी किश्त जारी करने से पिछले महीने ही इनकार कर दिया था। वो पाकिस्तान से शर्तों के मुताबिक, रेवेन्यू बढ़ाने और खर्च कम करने को कह रहा है।
- 8 दिसंबर को पाकिस्तान ने सऊदी को लेटर लिखा और जल्द से जल्द 3 अरब डॉलर कर्ज देने की गुहार लगाई। जनवरी में ही पाकिस्तान को 8.8 अरब डॉलर की किश्तें चुकानी हैं। जाहिर है एक तरफ तो वो 6.7 अरब डॉलर का रिजर्व खाली नहीं कर सकता। दूसरी तरफ, दूसरे देशों या संगठनों से उसे मदद नहीं मिल रही।
- डार ने नवंबर में कहा था- चीन और सऊदी अरब से हमें 13 अरब डॉलर का फाइनेंशियल पैकेज मिलने जा रहा है। इसमें से 5.7 अरब डॉलर फ्रेश लोन्स हैं। चीन से 8.8 और सऊदी से 4.2 अरब डॉलर मिलेंगे।

IMF से कहां अटकी बात
IMF अगस्त में पाकिस्तान को 9 अरब डॉलर की मदद किश्तों पर देने तैयार हुआ था। पाकिस्तान के 75 साल के इतिहास में यह 23वां मौका था जब उसे दिवालिया होने से बचने के लिए इस इंटरनेशनल फाइनेंशियल बॉडी के आगे हाथ फैलाना पड़ा।
9 अरब डॉलर में से पाकिस्तान को अब तक सिर्फ 2 अरब डॉलर ही मिल पाए हैं। इसकी वजह यह है कि IMF बेहद सख्त शर्तों पर कर्ज देता है और उसका एक तय प्रोग्राम होता है। इसे संबंधित देश को हर हाल में मानना पड़ता है। सियासी मजबूरियों के चलते शाहबाज शरीफ सरकार इन शर्तों को पूरा नहीं कर पा रही है। यही वजह है कि IMF ने भी किश्त रोक दी है।
बड़बोलेपन ने बढ़ाई मुसीबत ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक- IMF ने पाकिस्तान सरकार से रेवेन्यू और इनकम के बारे में तफ्सील से रिपोर्ट मांगी थी। पाकिस्तान ने रिपोर्ट पेश भी की, लेकिन IMF की टीम इससे नाखुश थी। उसके मुताबिक, सरकार न तो आयात कम कर पा रही है और न ही रेवेन्यू बढ़ाने में कामयाब रही। ऐसे में नई किश्त जो इसी महीने जारी होनी थी, रोक दी गई।
इशहाक डार के एक बयान ने पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ा दीं। डार ने एक इंटरव्यू में कहा था- IMF हमें यह नहीं बता सकता कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं। हम उसके डिक्टेशन फॉलो नहीं कर सकते।

अब कौन करेगा मदद
- सबसे बड़ा सवाल यही है कि पाकिस्तान को सिर पर आ चुकी मुसीबत से कौन उबार पाएगा। डार ने इसी इंटरव्यू में कहा था- एक मित्र देश ने हमें मदद का भरोसा दिलाया है। हमें उम्मीद है कि यह हेल्प जल्द ही हमें मिल जाएगी।
- इशहाक से जब यह पूछा गया कि कौनसा देश मदद कर रहा है तो उन्होंने इस देश का नाम बताने से इनकार कर दिया था। डार ने यह उम्मीद भी जताई थी कि मुल्क में क्रूड ऑयल और पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का इम्पोर्ट अब रूस से किया जाएगा। सोमवार को पेट्रोलियम मिनिस्टर मुसद्दिक मलिक ने भी इसकी पुष्टि की थी। उन्होंने कहा था- रूस हमें 30 से 40% डिस्काउंट पर क्रूड ऑयल, पेट्रोल और डीजल देने को तैयार हो गया है।
- हैरानी की बात यह है कि रूस सरकार ने इस बारे में कोई बयान नहीं दिया। फरवरी में तब के प्रधानमंत्री इमरान खान भी रूस गए थे और उन्होंने भी दावा किया था कि रूस से भारत की तर्ज पर किफायती दाम पर ऑयल प्रोडक्ट खरीदे जाएंगे। ये आज तक मुमकिन नहीं हो पाया।