Tuesday, March 21, 2023
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ब्लड टेस्ट के नाम पर करोड़ों का घोटाला: भारतीय मूल के बिजनेसमैन को 13 साल की सजा, गर्लफ्रेंड के साथ मिलकर की थी साजिश


वॉशिंगटन3 मिनट पहले

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अमेरिका की एक डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने गुरुवार को भारतीय मूल के रमेश सनी बलवानी को निवेशकों से झूठ बोलकर करोड़ो हड़पने के मामलें में 13 साल की सजा सुनाई है। सनी पर आरोप थे कि उनकी कंपनी ने निवेशकों से झूठे दावे किए और उनसे करोड़ो रुपए ऐंठे। दरअसल सनी की गर्लफ्रैंड ने 2003 में एक ब्लड टेस्टिंग स्टार्ट अप थेरानोस की शुरूआत की थी। सनी बलवानी इस कंपनी में एलिजाबेथ होम्स के बिजनेस पार्टनर और चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर थे। थेरनोस ने ब्लड टेस्टिंग के फील्ड में क्रांति लाने का दावा किया था।

कोर्ट ने बलवानी को 12 मामलों में आरोपी पाया है। इनमें से 10 मामले तो फ्रॉड और 2 मामले साजिश करने से जुड़े हैं। प्रासीक्यूटर ने मांग की थी कि बलवानी को 15 साल की सजा हो और उससे 6 हजार करोड़ रुपए मुआवजे के रूप में वसूले जाएं। जिसे कोर्ट ने अभी के लिए पोस्टपोन कर दिया है।

एलिजाबेथ होम्स अपने यूनिवर्सिटी के समय से रमेश 'सनी' बलवानी की गर्लफ्रेंड थी। दोनों का साल 2106 में ब्रेक अप हुआ।

एलिजाबेथ होम्स अपने यूनिवर्सिटी के समय से रमेश ‘सनी’ बलवानी की गर्लफ्रेंड थी। दोनों का साल 2106 में ब्रेक अप हुआ।

एक महीने पहले एक्स गर्लफ्रैंड एलिजाबेथ होम्स को मिली थी सजा

निवेशकों से कई सालों तक झूठ बोलने और फ्रॉड करने के मामले में सनी की एक्स गर्लफ्रेंड और थेरनोस की फाउंडर का ट्रायल अलग से हुआ था। इसमें पिछले महीने उन्हें 11 साल की सजा मिली थी। सजा के लिए एलिजाबेथ अपने पूरे परिवार और पार्टनर के साथ कैलिफोर्निया की कोर्ट में पहुंची थी। सजा सुनाए जाने के बाद एलिजाबेथ ने अपने निवेशकों, लोगों और मरीजों से माफी मांगी थी।

थेरनोस के घोटाले की पूरी कहानी

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से थेरनोस की शुरूआत हुई

साल 2003 की बात है, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ रही एलिजाबेथ होम्स अपने प्रोफेसर चैनिंग रोबर्टसन के पास गई औऱ कहा, एक कंपनी शुरू करते हैं। उनसे हां मिलने के बाद एलिजाबेथथ ने एक कंपनी खोली जिसका नाम रिएल टाइम क्योर रखा गया। इसी नाम को बाद में बदलकर थेरनोस किया गया था। होम्स ने कुछ समय बाद ही एक मेडिकल डिवाइस को पेटेंट कराने के लिए एप्लीकेशन फाइल की। इसमें दावा किया गया था कि यह डिवाइस किसी मरीज के शरीर में दवाई की जरूरत को मॉनीटर और एडजेस्ट करेगा।

स्टैनफॉर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने के दौरान ही एलिजाबेथ के मन में चलने लगा कि वो अपने स्टार्ट अप को और आगे बढ़ाना चाहती हैं। इसी के चलते उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच मे ही छोड़ दी और थेरनोस को लेकर एक बेसमेंट में काम करना शुरू कर दिया।

टेक्नोलोजी के सीक्रेट नहीं बताए

थेरनोस के पूरे बिजनेस मॉडल को इस बात के इर्द-गिर्द घुमाया गया कि मामूली से खून कई तरह के बॉडी टेस्ट किए जा सकेंगे। अपनी टेक्नोलोजी से होम्स यह तक दावा कर दिया था कि इस तरह से किए गए टेस्ट से कॉलेस्ट्रोल और कैंसर तक की बीमारियों का पता चल सकेगा। इसी दावे के आधार पर होम्स ने थेरनोस के लिए फंड जुटाना शुरू किया।

अमेरिका के कई बड़े और मशहूर निवेशकों से होम्स को 5 हजार करोड़ रुपए मिले। होम्स ने फंड लेने से पहले निवेशकों के आगे एक शर्त रखी । इसमें उन्होंने कहा कि वो किसी भी शर्त पर यह नहीं बताएंगी की ब्लड टेस्ट करने की तकनीक किस तरह से काम करती है। साथ ही कंपनी के किसी भी मामले में आखिरी मर्जी उन्हीं की होगी।

एलिजाबेथ होम्स एक टॉक शो के दौरान बिल क्लिंटन और जैक मा के साथ देखी जा सकती हैं।

एलिजाबेथ होम्स एक टॉक शो के दौरान बिल क्लिंटन और जैक मा के साथ देखी जा सकती हैं।

कम उम्र में क्लिंटन और जैक मा तक पहुंच बनाई

इतनी कम उम्र में कंपनी शुरू करने और करोड़ों का फंड मिलने से एलिजाबेथ अमेरिकी मीडिया में छा गई। धीरे-धीरे उनकी पहुंच तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपित क्लिंटन और जाने माने बिजनेस टाइकून जैक मा तक हो गई। टाइम्स मैगजीन ने उन्हें 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में भी रख दिया था। उनकी बढ़ती लोकप्रियता भी उनकी कंपनी को मिलने वाले फंड की अहम वजह बनी।

साल 2014 के आते-आते उन पर सवाल उठने लगे। उन पर प्रेशर बनाया जाने लगा कि वो बताएं कि उनकी कंपनी किस तरह से काम करती है। कंपनी के ही चीफ साइंटिस्ट ने टेक्नोलोजी के काम न करने की कई बार बात कही। दूसरे देशों में भी होम्स और थेरनोस कंपनी के दावों पर सवाल करने शुरू कर दिए। जिसके चलते 2015 में FDA ने इसकी जांच करना शुरू कर दिया। द वॉल स्ट्रीट

द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में थेरनोस कंपनी का भांडाफोड़ किया था।

द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में थेरनोस कंपनी का भांडाफोड़ किया था।

द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने किया खुलासा

FDA की रिपोर्ट में सामने आया कि थेरनोस कंपनी ब्लड टेस्ट करने में जिस टेक्नोलोजी का इस्तेमाल कर रही थी। उससे सही रिजल्ट नहीं मिल रहे थे। इसके बाद अक्टूबर 2015 में आई एक रिपोर्ट में द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने दावा किया की थेरनोस की टेक्नोलोजी ठीक से काम नहीं कर रही है। मरीजों को सही रिजल्ट देने के लिए कंपनी पुरानी औऱ उस समय में जो तकनीकें चलने में थी उसी का यूज कर रही थी। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद कंंपनी की उलटी गिनती शुरू हो गई।

जुलाई 2016 में एलिजाबेथ होम्स पर लैब टेस्टिंग इंडस्ट्री से दो साल का बैन लगा दिया। जिसके 2 महीने बाद ही थेरनोस की सारी लैब्स और वेलनेस सेंटरों पर काम बंद कर दिए गए। साल 2018 में थर्नेोस और उनके बॉयफ्रेंड बलवानी पर बहुत बड़ा फ्रॉड करने के चार्जेज लगे। जिसके बाद होम्स ने 5 लाख बिलियन डॉलर देने और कंपनी के 18.9 मिलियन शेयर वापिस करने का फैसला किया।

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